डॉ. ध्रुव शर्मा, दिल्ली के एक अनुभवी स्पाइन और ऑर्थोपेडिक सर्जन, इस लेख में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अक्सर अनदेखा विषय पर अपने अनुभव साझा करते हैं: कई बार स्पाइन या घुटने की सर्जरी सफल होने के बावजूद मरीज क्यों असंतुष्ट या खुश नहीं होते। यह समस्या न केवल शारीरिक स्तर पर बल्कि भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी गहरी छाप छोड़ती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सर्जरी के बाद दर्द कम होने के बावजूद मरीज के अंदर असंतोष की भावना क्यों बनी रहती है, और असली हीलिंग का मतलब क्या होता है।

सर्जरी के बाद दर्द कम होना, क्या यही है असली सफलता?

स्पाइन की डिस्क प्रॉब्लम हो या घुटने की सर्जरी, अक्सर हम यह मान लेते हैं कि जब सर्जरी सफल हो जाती है, और दर्द 80% से 90% तक ठीक हो जाता है, तो मरीज पूरी तरह ठीक हो गया। लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता। कई बार मरीज दर्द कम होने के बावजूद भी खुश नहीं होता, उसकी जीवनशैली, मानसिक स्थिति, और सामाजिक गतिविधियों पर इसका असर होता है।

डॉ. ध्रुव बताते हैं कि जब डिस्क निकाल दी जाती है, और एमआरआई में देखा जाता है कि नर्व रूट पर दबाव खत्म हो चुका है, तो तकनीकी तौर पर सर्जरी सफल मानी जाती है। लेकिन मरीज के चेहरे पर खुशी नहीं दिखती। इसका कारण यह है कि दर्द कम होना केवल एक पहलू है।

Why do patients feel dissatisfied even after a successful best spine surgery or best knee surgery in India??

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दर्द कम होना vs. मरीज की खुशी

  • 80-90% तक दर्द कम हो जाना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन मरीज के मन में असंतोष रह सकता है।
  • सर्जरी के बाद भी मरीज का मूड, सामाजिक व्यवहार और आत्मसंतुष्टि प्रभावित हो सकती है।
  • यह फर्क डॉक्टरों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि वे सिर्फ शारीरिक बीमारी को ठीक करते हैं, लेकिन मरीज की पूरी ज़िंदगी को नहीं।

सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं, मरीज की संपूर्ण देखभाल जरूरी

डॉ. ध्रुव का मानना है कि डॉक्टर का काम केवल बीमारी का इलाज करना नहीं है, बल्कि मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ और खुशहाल बनाना है। यह अनुभव और समय के साथ ही आता है कि इलाज का मतलब सिर्फ सर्जरी या दवाइयां नहीं होती, बल्कि मरीज की जीवनशैली, भावनात्मक स्थिति और सामाजिक जुड़ाव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा, “हम डॉक्टर हैं, न कि सिर्फ सर्जन या फिजिशियन। हमारा काम है मरीज को ठीक करना, न कि सिर्फ बीमारी को।” यह बात कई बार अनदेखी रह जाती है, जिसके कारण मरीज सर्जरी के बाद भी असंतुष्ट महसूस करता है।

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मरीज की संपूर्ण देखभाल के तत्व

  • शारीरिक स्वास्थ्य: डिस्क या घुटने की समस्या का समाधान।
  • मांसपेशियों की पुनर्बहाली: लंबे समय से निष्क्रिय मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
  • पोश्चर और चाल: दर्द की वजह से बैठने या चलने के तरीके बिगड़ जाते हैं।
  • नींद की गुणवत्ता: दर्द के कारण नींद पूरी नहीं होती, जिससे शरीर ठीक से रिकवर नहीं होता।
  • भावनात्मक संतुलन: दर्द और सामाजिक अलगाव के कारण डिप्रेशन या बर्नआउट हो सकता है।
  • सामाजिक जुड़ाव: परिवार, दोस्तों और समाज के साथ संबंधों में सुधार।

सर्जरी के बाद मांसपेशियों और चाल की समस्या

जब स्पाइन की डिस्क निकाल दी जाती है या घुटने की सर्जरी हो जाती है, तो तकनीकी तौर पर समस्या खत्म हो जाती है। लेकिन शरीर में लंबे समय से निष्क्रिय मांसपेशियां कमजोर हो चुकी होती हैं। कई बार मरीज ठीक से चल भी नहीं पाता क्योंकि उसे अपनी मांसपेशियों को फिर से सक्रिय करना पड़ता है।

डॉ. ध्रुव कहते हैं कि इस पहलू पर काम करना बहुत जरूरी है। “आपने डिस्क निकाल दी, नर्व पर दबाव खत्म हो गया, लेकिन क्या आप ने उस कमजोर मांसपेशी पर काम किया जो सालों से निष्क्रिय थी?” यह सवाल अक्सर अनदेखा रह जाता है।

सर्जरी के बाद फिजिकल थेरेपी, एक्सरसाइज और सही पोश्चर सुधारना उतना ही जरूरी है जितना सर्जरी। अगर मांसपेशियां मजबूत नहीं होंगी, तो मरीज को चलने-फिरने में दिक्कतें आएंगी और असली खुशी का अनुभव नहीं होगा।

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नींद और जीवनशैली का असर

दर्द के कारण मरीजों की नींद पूरी नहीं होती। इससे उनकी कार्डियक रिदम, यानी दिल की धड़कन का पैटर्न भी प्रभावित होता है। नींद की कमी से शरीर ठीक से ठीक नहीं हो पाता और मानसिक तनाव बढ़ता है।

यह स्थिति सर्जरी के बाद भी बनी रह सकती है क्योंकि मरीज का शरीर और मन दर्द और असुविधा की आदत में आ चुका होता है। इसलिए नींद की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

भावनात्मक और सामाजिक प्रभाव

सामाजिक अलगाव और भावनात्मक बर्नआउट भी एक बड़ी समस्या है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 43% मरीज जो क्रोनिक लो बैक पेन से पीड़ित हैं, वे सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करते हैं। वे दोस्तों के साथ मिलना-जुलना कम कर देते हैं, पार्क या सामाजिक कार्यक्रमों में भाग नहीं लेते।

32% मरीज इमोशनल बर्नआउट की स्थिति में होते हैं, जो लगातार दर्द और सामाजिक अलगाव के कारण होता है।

सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर असर

  • मरीज अपने परिवार के साथ खुशहाल समय नहीं बिता पाता।
  • मैरिड कपल्स में रिश्ते प्रभावित होते हैं क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता पाते।
  • युवा माता-पिता बच्चों के साथ पूरी तरह जुड़ नहीं पाते क्योंकि वे उन्हें उठाने या संभालने में असमर्थ होते हैं।
  • ऐसे कई रिश्ते टूटने या कमजोर होने के खतरे में होते हैं।

सर्जरी के बाद की असली हीलिंग क्या है?

डॉ. ध्रुव के अनुभव के अनुसार, सर्जरी या कोई भी मेडिकल ट्रीटमेंट केवल एक कदम है। असली हीलिंग तब होती है जब मरीज पूरी तरह से शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से स्वस्थ हो जाता है।

यह प्रक्रिया लंबी और बहुआयामी होती है, जिसमें शामिल है:

  1. सर्जरी या दवाइयों से शारीरिक समस्या का समाधान।
  2. फिजिकल थेरेपी और एक्सरसाइज से मांसपेशियों और चाल का सुधार।
  3. नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान।
  4. सामाजिक जुड़ाव और पारिवारिक रिश्तों की बहाली।
  5. मरीज की खुशी और संतुष्टि को प्राथमिकता देना।

डॉ. ध्रुव कहते हैं, “जब मैं मरीज को पूरी तरह खुश और संतुष्ट देखता हूँ, तभी मुझे लगता है कि मेरा काम सफल हुआ। मरीज की खुशी ही मेरी खुशी है।”

निष्कर्ष: मरीज की संपूर्ण देखभाल ही सफलता है

स्पाइन या घुटने की सर्जरी के बाद मरीज के असंतुष्ट महसूस करने के कई कारण हो सकते हैं। तकनीकी रूप से सर्जरी सफल हो जाना ही पूरी सफलता नहीं है। दर्द कम होना जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है मरीज की जीवनशैली, भावनात्मक स्थिति और सामाजिक जुड़ाव को सुधारना।

डॉ. ध्रुव शर्मा का अनुभव बताता है कि डॉक्टर का काम सिर्फ बीमारी का इलाज करना नहीं, बल्कि मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ और खुशहाल बनाना है। इसलिए सर्जरी के बाद फिजिकल थेरेपी, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान, और सामाजिक जीवन को पुनः सक्रिय करना बहुत आवश्यक है।

अगर आप या आपके परिचित किसी स्पाइन या जॉइंट प्रॉब्लम से गुजर रहे हैं और सर्जरी के बाद भी असंतोष महसूस कर रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि हीलिंग एक बहुआयामी प्रक्रिया है। सही मार्गदर्शन और संपूर्ण देखभाल से ही आप पूरी तरह स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।

यदि आपको अपनी स्पाइन की समस्या पर सही सलाह चाहिए या आप एक व्यापक और जेन्युइन ट्रीटमेंट चाहते हैं, तो विशेषज्ञ से संपर्क करें और अपनी पूरी कहानी साझा करें। याद रखें, आपकी खुशी और स्वास्थ्य ही असली सफलता है।

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए वीडियो अवशय देखे

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